Welcome to the Universe of MAHARAN
अनिश्चित है धर्म की परीभाषा . अनिश्चित है हमारा अस्तित्व . कौन जानता है की भविष्य हमें क्या बुलाएगा - महानायक या खलनायक . जीवन की पृष्ठभूमि में , बुना जा रहा है एक और महा रण जो चुनौती देने वाला है इंसानी भावनाओं, मूल्यों और समस्त जगत के चार -अचर जीवों के असतित्व को. ब्रहमांड खरा है इक ऐसे पशोपेश भरे सवालों के चौराहे पर , जहाँ से आगे जाने का मार्ग तो है, मगर उनका चुनाव कर पाने का तर्क प्रस्तुत नहीं है. जीवन की स्रिष्टी के बाद से काल चक्र ने बहुधा धर्म -अधर्म की खून से लथपथ युद्ध भुमी के मंज़र दिखाए हैं . परन्तु आज स्वयम काल भी अचंभित है ओर मूक प्रत्यक्षदर्शी बन कर खरा है उस महारण का जिसमें दोनों तरफ ही धर्म है. दोनों सेनाएं पहली बार महानायाको से भरी हैं और सवयम सृष्टिकर्ता के लिए ये निर्णय कर पाना नामुमकिन प्रतीत हो रहा है की वो कीसका पक्ष लें .
सारी हरु शक्ती वापीस नहीं जा पाई थी. कुछ रह गयी थी नागराज के जिस्म में क़ैद . और नागराज के शरीर की द्वीगुनित होने की शक्ती पाके (देवताओं की शक्ती), एक नया रुप ले रही थी.
उधर कलकी अवतार भी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हो पाया था, किसी विशाल व्रीक्ष के रूट की तरह उसकी जड़ें भी जमीन में धंसी रह गयी थी.
सौदंगी को अपने वतन की याद सताती है, और नागराज भी मौत के सफर पैर निकल चूका है तो दोनों पहुँचते हैं अफ्रीका , जहाँ पैर नागराज जाता है इजिप्ट , सौदंगी के परिवार से मिलने .
वहाँ किसी तरह की तांत्रिक प्रक्रिया में सभी शामिल होते हैं. नागु भी वहीं होता है. और सभी महत्वपूर्ण सर्प नागराज के शरीर से बाहर आके उस प्रक्रिया को देख रहे होते हैं, तभी भूचाल आता है, और तंत्र गोला गिर जाता है, और उससे प्रकाश की तेज चकाचौंध निकल कर नागु के मस्तक मणि से टकराती है.
कोई डैमेज नहीं होता है, पर नागु चीख कर बेहोश हो जाता है . थोरी देर के पश्चात् उसको होश आता है और वो अपने आप को सामान्य महसूस करता है, फिर वो नागराज क शरीर में प्रवेश कर जाता है .
यहीं से कहानी twist लेती है. वो तंत्र शक्ति, नागराज के शरीर में प्रवेश कर जाती है और हरु शक्ती को नागराज के शरीर से निकलने का रास्ता मील जाता है. सवाल की वो पहले क्यों नहीं निकल पा रही थी? क्योंकी पहले नागराज ने उसको शरीर में बंद कर रखा था. लेकिन अब चुकी नागु के पास शरीर से निकलने और घुसने की ताकत है, तो शक्ती पाकर हरु शक्ति को भी निकलने का पथ मील जाता है.
आसपास हरु शक्ती का कोई स्रोत नहीं होता इसलिए, हरु शक्ती जमीन में समाने लगती है, और इस कृया के दौरान , वो कलकी शक्ति की जड़ों से टकराती है. नयी प्रकार की शक्ति के सम्पर्क में आ कर कलकी शक्ती में फीर से जीवन का संचार हो जाता है. साथ, ही वो द्वीगुनित होने वाली शक्ती पाकर, कलकी की जड़ें फीर, धरती के गर्व की तरफ बढ़ने लगती हैं. निकलने का रास्ता मील जाता है. सवाल की वो पहले क्यों नहीं निकल पा रही थी? क्योंकी पहले नागराज ने उसको शरीर में बंद कर रखा था. लेकिन अब चुकी नागु के पास शरीर से निकलने और घुसने की ताकत है, तो शक्ती पाकर हरु शक्ति को भी निकलने का पथ मील जाता है.
आसपास हरु शक्ती का कोई स्रोत नहीं होता इसलिए, हरु शक्ती जमीन में समाने लगती है, और इस कृया के दौरान , वो कलकी शक्ति की जड़ों से टकराती है. नयी प्रकार की शक्ति के सम्पर्क में आ कर कलकी शक्ती में फीर से जीवन का संचार हो जाता है. साथ, ही वो द्वीगुनित होने वाली शक्ती पाकर, कलकी की जड़ें फीर, धरती के गर्व की तरफ बढ़ने लगती हैं.
जैसा की हम सभी जानते हैं, कलकी शक्ती में दीमाग को वश में करने की ताकत थी,और अब हरु शक्ती से मील कर और नागराज की अद्भुत शक्ती की संयोग से वो क्या कहर ढाएगी , जीसका अंत सिर्फ एक ही है जो कहलायेगा महारण.
क्योंकी पहले नागराज ने उसको शरीर में बंद कर रखा था. लेकिन अब चुकी नागु के पास शरीर से निकलने और घुसने की ताकत है, तो शक्ती पाकर हरु शक्ति को भी निकलने का पथ मील जाता है.
आसपास हरु शक्ती को आसपास हरु शक्ती का कोई स्रोत नहीं होता इसलिए, हरु शक्ती जमीन में समाने लगती है, और इस कृया के दौरान , वो कलकी शक्ति की जड़ों से टकराती है. नयी प्रकार की शक्ति के सम्पर्क में आ कर कलकी शक्ती में फीर से जीवन का संचार हो जाता है. साथ, ही वो द्वीगुनित होने वाली शक्ती पाकर, कलकी की जड़ें फीर, धरती के गर्व की तरफ बढ़ने लगती हैं.
जैसा की हम सभी जानते हैं, कलकी शक्ती में दीमाग को वश में करने की ताकत थी,और अब हरु शक्ती से मील कर और नागराज की अद्भुत शक्ती की संयोग से वो क्या कहर ढाएगी , जीसका अंत सिर्फ एक ही है जो कहलायेगा महारण.
अब पूरी दुनिया मचेगी खलबली
क्योंकि ब्रह्माण्ड रक्षक बाँट जायेंगे दो भाग में.
कुछ होंगे पृथ्वी की रक्षा करने के पक्ष में तो कुछ होंगे ब्रह्माण्ड की रक्षा के पक्ष में
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